Baisakhi 2023 से शुरू होगा सिक्खों का नया साल, जानें भारत के तमाम राज्यों में कब-कब मनाया जाता है नववर्ष
हर साल मेष संक्रान्ति के दिन बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है. मान्यता है कि वर्ष 1699 में इसी दिन सिक्खों के 10वें और अंतिम गुरु गोबिंद सिंह ने पवित्र खालसा पंथ की स्थापना की थी. इसलिए ये पर्व सिक्ख धर्म से जुड़े लोगों के बीच नव वर्ष के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है.
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बैसाखी 2023 (Baisakhi 2023) सिक्ख समुदाय के लोगों का बहुत खास त्योहार है. ये फसल का त्योहार है, जो वैशाख के महीने में पड़ता है. इसे तमाम जगहों पर वैशाखी (Vaishakhi) भी कहा जाता है. दरअसल वैशाख मास तक उत्तर भारत में रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है और उनकी कटाई शुरू कर दी जाती है. नई फसल के घर आने की खुशी में ये त्योहार दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि उत्तर भारत के तमाम क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है.
हर साल मेष संक्रान्ति (Mesh Sankranti) के दिन बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है. मान्यता है कि वर्ष 1699 में इसी दिन सिक्खों के 10वें और अंतिम गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh) ने पवित्र खालसा पंथ (Khalsa Panth) की स्थापना की थी. इसलिए ये पर्व सिक्ख धर्म से जुड़े लोगों के बीच नव वर्ष के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. इस साल बैसाखी का त्योहार 14 अप्रैल को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं कि बैसाखी के अलावा भारत के तमाम राज्यों में कब-कब नव वर्ष मनाया जाता है.
1 जनवरी
ग्रेगोरियन कैलेंडर यानी इंगलिश कैलेंडर के हिसाब से हर साल नया साल 1 जनवरी को मनाया जाता है. इसका जश्न भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिलता है. कई दिन पहले से इस न्यू ईयर को मनाने की शुरुआत हो जाती है. 31 दिसंबर की रात में इसका जश्न मनाया जाता है, जो पूरी रात चलता है.
हिंदू नववर्ष
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हिंदू धर्म के लोगों के बीच चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष मनाने का चलन है. इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से ये तिथि मार्च-अप्रैल के बीच आती है.
गुड़ी पड़वा
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही महाराष्ट्र में मराठी लोग भी नया साल मनाते हैं. इसे मराठी पड़वा भी कहा जाता है. इसी दिन आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में नव वर्ष उगादि के तौर पर मनाया जाता है. वहीं कश्मीर में इस दिन को नवरेह के तौर पर मनाया जाता है.
विषु
मलयालम कैलेंडर के अनुसार विषु का पर्व भी मेष संक्रान्ति के दिन मनाया जाता है. केरल के लोग इस दिन को नव वर्ष के तौर पर मनाते हैं. इस साल ये पर्व भी 14 अप्रैल को ही मनाया जाएगा.
पुथंडु
पुथंडु या पुथुरूषम जिसे तमिल नव वर्ष के तौर पर मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से ये दिन ज्यादातर 14 या 15 अप्रैल को ही सेलिब्रेट किया जाता है.
जैन नववर्ष
ये दिन दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है. वीर निर्वाण संवत के अनुसार वर्ष की शुरुआत माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन महावीर स्वामी का निर्वाण हुआ था. इसे वीर निर्वाण संवत भी कहा जाता है.
नवरोज़
नौरोज़ या नवरोज़ को ईरानी नववर्ष के तौर पर मनाया जाता है. हिजरी शमसी कैलेंडर का नव वर्ष इसी समय से आरंभ होता है. इस कैलेंडर के अनुसार नौरोज़ हर साल 20 या 21 मार्च से शुरू होता है. इसे फारसी नया साल भी कहा जाता है.
इस्लामिक नव वर्ष
इस्लामिक नववर्ष को हिजरी न्यू ईयर के नाम से भी जाना जाता है जिसकी शुरुआत मुहर्रम के महीने से होती है. इस्लामिक न्यू ईयर की डेट हर साल बदलती रहती है. इस्लामिक हिजरी कैलेंडर, ग्रेगोरियन कैलेंडर की तुलना में लगभग 11 दिन छोटा होता है.
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